Menu
blogid : 10234 postid : 133

ग़ज़ल — सत्य को वनवास

Meri tanhayi
Meri tanhayi
  • 85 Posts
  • 124 Comments

Sunset

अब सत्य को वनवास होता है बहुत
राह में खरमास होता है बहुत..

हम मर्दों को दर्द नहीं होता मगर,
दर्द का एहसास होता है बहुत..

करता है नम पलकों को अक्सर वही,
अपना जो भी ख़ास होता है बहुत..

इंसानियत के दिन लौटेंगे फिर से,
मुझको ये आभास होता है बहुत..

सैकड़ों तारों की भारी भीड़ में,
इक मगर आकाश होता है बहुत..

दिल को अक्सर तोड़ जाता है वही,
दिल के जो भी पास होता है बहुत..!

–गोपाल के.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply